प्रदूषण न केवल राष्ट्रीय अपितु अन्तर्राष्ट्रीय भयानक समस्या है। मनुष्य के आसपास जो वायुमंडल है वो पर्यावरण कहलाता है। पर्यावरण का जीवजगत के स्वास्थ्य एवं कार्यकुशलता से गहरा सम्बन्ध है। पर्यावरण को पावन बनाए रखने में प्रकृति का विशेष महत्व है। प्रकृति का संतुलन बिगड़ा नहीं कि पर्यावरण दूषित हुआ नहीं। पर्यावरण के दूषित होते ही जीव- जगत रोग ग्रस्त हो जाता है।
यदि शुद्ध हो पर्यावरण।
यदि प्रबुद्ध हो हर आचरण।
भय दूर होगा रोग का।
संतुलित होगा जीवन- मरण।
वातावरण में संतुलन बनाए रखने वाला माध्यम अर्थात् पेड़- पौधे उपेक्षा का शिकार बनाए जा रहे हैं। समय रहते यह क्रम यदि रुका नही, वृक्षारोपण अभियान तीव्रता से तथा सुरक्षात्मक ढंग से यदि चलाया नही गया, तो प्रदूषण असाध्य रोग बन जाएगा।
वृक्ष धरा का हैं श्रंगार।
इनसे करो सदा तुम प्यार।
इनकी रक्षा धर्म तुम्हारा।
ये हैं जीवन का आधार।।
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