आषाण मास की पूर्णिमा व्यास- पूर्णिमा कहलाती है। इसे गुरु पूर्णिमा भी काहा जाता है।व्यास जी भगवान के अवतार माने जाते हैं , उन्होंने अट्ठारह पुराणों की रचना की थी। उनके अनेक शिष्य थे।शिष्यों ने एकमत बनाकर उनकी गुरु पूर्णिमा को पूजा की, श्री व्यास जी को ऊच्चासन पर बिठाकर कुछ लोगों ने अपने ग्रंन्थ भेंट किए , कुछ ने फूलमाला पहनाकर और आरती उतार कर प्रणाम किया और आशीर्वाद का लाभ प्राप्त किया। गुरु का आशीर्वाद सब कुछ देने वाला होता है।उसी समय से गुरु पूर्णिमा को गुरु की पूजा करने का विधान बन गया।
श्रावण मास आप सभी के घरों को हरा-भरा रखे।
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